Monday, 3 May 2021

वासा ( Malabar Nut ) || वसिंग्या - परिचय , बाह्य स्वरूप , गुण , औषधीय प्रयोग

 वासा Malabar Nut ( वसिंग्या )

वैज्ञानिक नाम : Adhatoda zeylanica Medik
कुलनाम : Acanthaceae
अंग्रेजी नाम : Malabar Nut
संस्कृत : वासक , आटरूषक, वसिका
हिन्दी : वासा, वासक, अडूसा , विसौटा , अरुष






परिचय

वासा ( वसिंग्या ) के पौधे भारत में 1200 से 4000 फुट की ऊँचाई तक कंकरीली भूमि में स्वयं ही झाडियों के समूह में उगते हैं। यह भारत के अधिकांश भागों में एक जंगली झाड़ी के रूप में पाया जाता है और इसे बाड़ बनाने में इस्तेमाल किया जाता है। अडूसा के पत्ते, फूल, जड़ों और छाल का आयुर्वेद में हजारों साल से प्रयोग होता आया है। इसमें जीवाणुरोधी, सूजन को कम करने वाले और रक्त को शुद्ध करने वाले गुण होते हैं। मालाबार नट श्वसन रोगों के लिए आयुर्वेद में इस्तेमाल की जाने वाली मुख्य औषधीयों में से एक है। इसके उपयोग से ब्रोंकाइटिस, कफ, ठंड, दमा आदि रोगों में बहुत लाभ होता है। अडूसा सदाबहार झाड़ी होती है जिसकी ऊंचाई 2.2 - 3.5 मीटर तक होती है। इसके फुल सफ़ेद रंग के होते हैं। 




बाह्य स्वरूप

वासा ( वसिंग्या ) का पौधा झाड़ीदार होता है। यह एक सदाबहार झाड़ी है। और यह बाड़ बनाने में इस्तेमाल किया जाता है । इसके पत्ते 3 से 8 इंच लम्बे अभिमुखी और 2 से 3 इंच चौड़ी होती हैं । इस पर श्वेत पुष्प 2-3 इंच लम्बी होते हैं जो कि फरवरी - मार्च में आते हैं। इसकी फली 0.75 इंच लम्बी होती है। और प्रत्येक फली में 4 बीच होते हैं। इसकी ( वसिंग्या ) की ऊँचाई 2 मीटर से 3.5 मीटर तक होती है। 



गुण

वसिंग्या स्वर के लिए उत्तम और हृदय , कफ , पित , रक्त विकार , श्वांस , ज्वर , खांसी , वमन , प्रमेह , कोढ तथा क्षय का नाश करने
 वाला है।  श्वसन संस्थान पर इसकी मुख्य क्रिया होती है । यह कफ को पतला करता है और बाहर निकालता है। यह श्वास नलिकाओं का कम परन्तु स्थायी प्रसार करता है। श्वास नलिकाओं के फैल जाने से दमे के रोगी का सांस फूलना कम हो जाता है।


औषधीय प्रयोग


• वसिंग्या के फूलों को छाया में सुखाकर बारीक पीसकर 10 ग्राम चूर्ण में थोड़ा गुड़ मिलाकर चार खुराक बना लें । सिरदर्द होने पर एक खुराक गोली खिला दें , जल्दी लाभ होगा ।

• वसिंग्या के ताजे पुष्पों को गरम कर आंख पर बांधने से आंख के गोलक का सूजन दूर होती है।

• यदि मुख में छाले हो तो इसके 2-3 पत्तों को चबाकर उसके रस को चूसने से लाभ होता है। फोक थूक देना चाहिए ।

• इसकी लकड़ी की दातौन करने से मुख रोग दूर हो जाते हैं ।

• इसके पत्तों के क्वाथ से कुल्ला करने से मसूड़ों की पीड़ा कम होती है।

• वसिंग्या , हल्दी , धनियाँ , गिलोय , पीपल , सौंठ के 10 से 20 ग्राम क्वाथ में 1 ग्राम मिर्च का चूर्ण मिलाकर दिन में 3 बार पीने से सम्पूर्ण श्वांस रोग पूर्ण रुप से नष्ट हो जाते हैं।

• वसिंग्या , मुनक्का और मिश्री के 10 से 20 ग्राम क्वाथ दिन में 3 से 4 बार पिलाने से सूखी खांसी मिटती है ।




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