Wednesday, 12 May 2021

सिरस ( शिरीष ) - परिचय , बाह्य स्वरूप , गुण , औषधीय प्रयोग और फायदे ।

 वैज्ञानिक नाम : Albizia lebbeck ( L. )

कुलनाम : Mimosaceae

अंग्रेजी नाम : Siris tree

संस्कृत : शिरीष , शुक पुष्प

हिन्दी : सिरीस , सिरस


परिचय

सिरस का पेड़ पूरे भारत में 8000 फुट की ऊँचाई तक पाये जाते हैं । सिरस के कुछ वृक्ष लगाये जाते हैं और यह जंगलों में भी पाया जाता है। शिरीष की कई प्रजातियाँ मिलती हैं। यह मुख्यतः तीन जातियाँ लाल , सफेद और काले शिरीष के रुप में पायी जाती है ।
शिरीष के कुछ वृक्ष छोटे और कुछ वृक्ष बहुत ऊँचे होते हैं । यह घना और छायादार वृक्ष होता है । इसकी फलियों और पुष्पों में भेद होने से यह काला , पीला , सफेद और लाल कई प्रकार का होता है। शिरीष के पत्ते , छाल , जड़ , फूल और बीज सभी का औषधी बनाने में प्रयोग किया जाता है। शिरीष का वृक्ष बहुत तेजी से बड़ा होता है। इसकी विशेषता यह है कि इसकी शाखाएँ बहुत ही सहजता से विकसित होती हैं। और इस पर फल , फूल भी जल्दी लगते है।


बाह्य स्वरूप

यह 16 से 20 मीटर तक ऊंचा होता है। यह वृक्ष बहुत ही घना होता है। इसके फूल सफेद व पीला रंग का और काफी सुंगधित होते हैं। इसका फल 10 से 30 सेंटीमीटर लंबा2 से 5 सेंटमीटर तक चौड़ा होता है।  यह फल नुकीला और पतला होता है। कच्ची अवस्था में यह फल हरे रंग का होता है। पकने  पर भूरे रंग का हो जाता है। यह फल चिकना और चमकीला होता है। 


गुण

यह दर्द को शांत करता है। और यह फोड़े को ठीक कर विष के प्रभाव को कम या नष्ट करता है। और यह आँख के रोग को नष्ट करता है। यह त्रिदोष शामक है । और यह प्रमेह , रोगनाशक , कफ का शोधक है । पीले सिरस के पत्तों को घी में भूनकर दिन में 3 बार लेने से खांसी नष्ट होती है। इसकी छाल में सैपोनिन, टैनिन एवं रालीय तत्व पाये जाते हैं।


औषधीय प्रयोग और फायदे

• शिरीष के पत्ते और आम के पत्तों के रस को मिला लें। इसे गुनगुना करके 1 से 2 बूंद कान में डालें। इससे कानों के के दर्द दूर हो जाते हैं।

• शिरीष की जड़ से काढ़ा बना लें। इससे कुल्ला बनाने से दांतों के रोग दूर होते हैं।

• इस काढ़ा से मंजन करने से दांतों में मजबूती भी आती हैं।

• पीले शिरीष के पत्तों को घी में भून लें। इसे दिन में तीन बार 1-1 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से खांसी मिटती है।

• शिरीष के बीज के चूर्ण को दिन में तीन बार देने से पेचिश में लाभ होता है। 

• शिरीष का तेल लगाने से कुष्ठ आदि चर्म रोगों में लाभ होता है।

• इससे घाव व फोड़े-फुंसी तुरंत ठीक हो जाते हैं।  


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सिरस ( शिरीष ) - परिचय , बाह्य स्वरूप , गुण , औषधीय प्रयोग और फायदे ।

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