Saturday, 1 May 2021

आम ( Mango ) - परिचय , बाह्य स्वरूप , रासायनिक संघटन , औषधीय प्रयोग , और आम की किस्में ।

 आम

वैज्ञानिक नाम - Mangifera Indica
कुलनाम - Anacardiaceae
अंग्रेजी नाम - Mango
संस्कृत - आम्र, फलश्रेष्ठ, रसाल, कामसर
हिन्दी - आम
जगत - पादप
गण - sapindales
जाति - mangifera
प्रजाति - indica




परिचय


आम एक प्रकार का रसीला और मीठा फल है । आम को फलों का राजा भी कहते हैं। आम भारत एवं पूर्वी द्वीप समूह का आदिवासी पौधा है। यह ग्रीष्म जलवायु का वृक्ष है। पूरे भारत में इसके वृक्ष लगाये जाते हैं। आमों की प्रजाति को मैंगिफेरा कहा जाता है। पहले इस फल की प्रजाति केवल भारत में पायी जाती थी । इसके बाद धीरे - धीरे अन्य देशों में फैलने लगी । इसका सबसे अधिक उत्पादन भारत में किया जाता है। आम की अनेक किस्में पाई जाती हैं । जो पौधे गुठली बोकर उत्पन्न किये जाते हैं, उन्हें देशी या बीजू आम और जो उन्नत जाति के आम के वृक्षों की शाखाओं पर कलम बांधकर तैयार किये जाते हैं। वे कलमी आम कहलाते हैं। इसके अलावा देश , स्थान , आकार, रंग, रूप भेद से इनकी अनेक किस्में मिलती हैं। देशी आम में रेशा होने पर इसका रस पतला होता है। और इसे चूसकर भी खाया जाता है परन्तु कलमी आम में फल का गूदा ज्यादा होता है अत: इसे काटकर खाया जाता है। औषधि प्रयोग के लिए कलमी आम की अपेक्षा चूसने वाले बीजू आम ज्यादा गुणकारी होते हैं। कच्चे आमों का अचार भी बनाय
 जाता है।
नोटः आम भारत , पाकिस्तान और फिलीपिन्स का राष्ट्रीय फल माना जाता है। और बांग्लादेश में भी आम के वृक्ष को राष्ट्रीय पेड़ का दर्जा प्राप्त हुआ है।

बाह्य - स्वरूप

आम का वृक्ष 30 से 120 फुट तक ऊंचा होता है पत्ते 4 से 12 इंच लंबे एवं 1 से 3 इंच चौड़े , भालाकार ,आयताकार , तीक्ष्णाग्र होते हैं , जिन्हें मसलने पर सुगंध आती है ।फल अनेक आकृति के कच्चे में हरे तथा पकने पर पीले या रक्ताभ हो जाते हैं । फल के भीतर बड़ी गुठली तथा उसके भीतर बीजमज्जा होती है ।बसंत में फूल और ग्रीष्म फल लगते हैं ।


रासायनिक संघठन


फल में अन्य तत्वों के अतिरिक्त विटामिन ए , विटामिन बी और विटामिन सी प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं ।


आम का बौर (फल)  -  शीतल , वातकारक, मलरोधक, अग्नि - दीपक , रुचिवर्धक तथा कफ , पित्त , प्रमेह और कफ नाशक है ।

आम की जड़  -  कसैली , मलरोधक , रुचिकारक तथा वात पित्त और कफ को हरने वाली है ।

आम की गुठली  -  किंचित कसैली , वमन अतिसार और हृदय स्थल की पीड़ा को दूर करने वाली है ।

आम बीज तेल  -  आम की गुठली का तेल कसैला , स्वादिष्ट , रुखा कड़वा तथा मुखरोग , कफ एवं वात को दुरुस्त करता है


औषधीय प्रयोग


केशकल्प   -   आम की गुठलियों के तेल को लगाने से सफेद बाल काले हो जाते हैं तथा काले बाल जल्दी सफेद नहीं होते हैं बाल झड़ना व रूसी में भी इससे लाभ होता है ।

स्वरभंग  -  आम के 40 ग्राम पत्तों को 400 ग्राम पानी में उबालकर चतुर्थांश से क्वाथ में मधु मिलाकर धीरे-धीरे पीने से स्वरभंग में लाभ होता है ।

खांसी   -  पके हुए आम को आग में भून ले । ठंडा होने पर धीरे-धीरे चूसने से सूखी खांसी मिटती है ।

प्यास   -  गुठली की गिरी के 40 से 60 ग्राम क्वाथ में 10 ग्राम मिश्री मिलाकर पीने से भयंकर प्यास शांत होती है ।



आम के अन्य प्रयोग


फल की छाल व पत्तों को संभाग पीसकर मुख में धारण करने या कुल्ला करने से दांत और मसूड़े मजबूत होते हैं ।

नरम टहनी के पत्तों को पीसकर लगाने से बाल बड़े व काले होते हैं।

आम के ताजे कोमल पत्ते दस नग और काली मिर्च दो-तीन नग दोनों को जल में पीसकर गोलियां बना लें । इसको खाने से उल्टी दस्त बंद हो जाते हैं ।

फूलों का काढ़ा एवं चूर्ण सेवन करने से अथवा इनके चूर्ण में चौथाई भाग मिश्री मिलाकर सेवन करने से अतिसार , प्रमेह , अरुचि , रक्तदोष एवं पित के उपद्रव नष्ट होते हैं ।

कच्चे आमों का अचार बनाया जाता है।


आम की किस्में


•वार्षिक किस्में

बंबइया
badam
तोतापरी
मालदा
पैरी
सफ्दर पसंद
सुवर्णरेखा
sundarja
सुन्दरी
लंगडा
राजापुरी


•मध्य ऋतु किस्में

अलंपुर बानेशन
अल्फोंसो/बादामी/गुंदू/आप्पस/खडेर'
बंगलोरा/तोटपुरी/कॉल्लेक़्टीओं/किली-मुक्कु
बाँगनपलल्य/बनेशन/छपती
दशहरी/दशहरी अमन/निराली अमन
गुलाब ख़ास
ज़ार्दालू
आम्रपाली (आम)


•वर्ष मे मध्य मे

रूमानि
समार्बेहिस्त/चोवसा/चौसा
वनरज


•मौसम की समाप्ति पर

फजली
सफेदा लखनऊ


•कभी-कभार फलने वाले

मुलगोआ
नीलम

1 comment:

सिरस ( शिरीष ) - परिचय , बाह्य स्वरूप , गुण , औषधीय प्रयोग और फायदे ।

 वैज्ञानिक नाम : Albizia lebbeck ( L. ) कुलनाम : Mimosaceae अंग्रेजी नाम : Siris tree संस्कृत : शिरीष , शुक पुष्प हिन्दी : सिरीस , सिरस परिच...